Thursday, February 10, 2011

मुझपर अधिकार करोगे

मैंने कब सोचा था
तुम मुझसे इतना प्यार करोगे
कंधो पर सिर रख दोगे
और दुलार करोगे
छोड़गे सबरी दुनिया
और मुझको परिवार कहोगे
ठुकरा दोगे राजकुंवर भी
मुझपर अधिकार करोगे

होगी हृदय में पीड़ा,
पर मुझे देख मुस्कान भरोगे
ऒरों के गुलदस्ते देखोगे भी नहीं
पर मेरी दी सूखी पंखुड़ियों का सम्मान करोगे
तैयार करोगे मुझे अपने हाथों से
सूर्य चन्द्र से उपमान करोगे
हर हार पर सम्भलोगे मुझको
और हर जीत का अभिमान करोगे

हर रात तुम्हारी यादो से
मुझमें एहसास भरोगे
हर दिन अपनी छाया से
मुझमें प्रकाश भरोगे
क्या गायक क्या नर्तक
क्या अभिनेता सबका उपहास करोगे
पर मेरे इन अकुशल छंदो का
हर रात्रि अभ्यास करोगे

1 comment:

Summary said...

very nice and deep thoughts are reflecting in this creation .

keep writing .