मैंने कब सोचा था
तुम मुझसे इतना प्यार करोगे
कंधो पर सिर रख दोगे
और दुलार करोगे
छोड़गे सबरी दुनिया
और मुझको परिवार कहोगे
ठुकरा दोगे राजकुंवर भी
मुझपर अधिकार करोगे
होगी हृदय में पीड़ा,
पर मुझे देख मुस्कान भरोगे
ऒरों के गुलदस्ते देखोगे भी नहीं
पर मेरी दी सूखी पंखुड़ियों का सम्मान करोगे
तैयार करोगे मुझे अपने हाथों से
सूर्य चन्द्र से उपमान करोगे
हर हार पर सम्भलोगे मुझको
और हर जीत का अभिमान करोगे
हर रात तुम्हारी यादो से
मुझमें एहसास भरोगे
हर दिन अपनी छाया से
मुझमें प्रकाश भरोगे
क्या गायक क्या नर्तक
क्या अभिनेता सबका उपहास करोगे
पर मेरे इन अकुशल छंदो का
हर रात्रि अभ्यास करोगे
1 comment:
very nice and deep thoughts are reflecting in this creation .
keep writing .
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